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Unbreaking the Mould
Volume 1 | Issue 11 [March 2022]
The mango season was in full swing. Bela, my husband’s mother, sat in the courtyard with a basketful of mangoes and squeezed the juice out of the fruits one by one, and spread it over oiled clay moulds. Layer after layer the juice was applied, till the coating on the moulds was sufficiently thick. Then the moulds were placed on a plate, covered with a muslin cloth, and left to dry under the sun. She was engaged in preparing …
साँचों का किस्सा
Volume 1 | Issue 11 [March 2022]
आमों का मौसम पूरे शबाब पर था। यह दृश्य उन्हीं दिनों का है। मेरे पति की माँ- बेला, आँगन में बैठी थी और अपने सामने रखे आमों से भरे टोकरे में से एक –एक आम को बड़ी निपुणता से अपने हाथों के बीच दबा दबाकर आमों का रस निकालती जा रही थी। और फिर उस रस को वह तेल चुपड़े मिट्टी के साँचों में ढारती जा रही थी। रस की एक परत के ऊपर वह दूसरी परत जमाती जा रही थी। जब परत की मोटाई अच्छी खासी हो जाती थी तभी वह साँचों में रस ढारना बंद करती थी। इसके बाद इन साँचों को एक थाली के ऊपर…
অতীতের মধুরতার স্মৃতি: বাঙলার ছাঁচ
Volume 1 | Issue 11 [March 2022]
আমের মৌসুম তখন পুরোদমে চলছে। বেলা, আমার শাশুড়ী, উঠানে এক ঝুড়ি আম নিয়ে বসে ফলের রস এক এক করে ছেঁকে তেল মাখা মাটির ছাঁচে ছড়িয়ে দিচ্ছিলেন। স্তরের পর স্তর রস প্রয়োগ করা হয়েছিল, যতক্ষণ না ছাঁচের উপর আবরণ যথেষ্ট পুরু হয়। তারপর ছাঁচগুলি একটি প্লেটে নামিয়ে , একটি মসলিন কাপড় দিয়ে ঢেকে, রোদে শুকানোর জন্য রেখে দেওয়া হয়। তিনি আমসত্ত প্রস্তুত করছিলেন – স্বচ্ছ, সোনালি, মিষ্টি এবং টক ওয়েফার বা চাকতি, স্পর্শে একটু আঠালো। দুটি চার ইঞ্চি ব্যাসের কালো মাটির…